मेरे लिये तुम कुछ ऐसे यार ज़रूरी हो

मेरे  लिये  तुम  कुछ   ऐसे  यार  ज़रूरी होकिसी ग़ज़ल को जैसे अश'आर ज़रूरी हो ज़ज्बात जो दबे  हों सीने में  कहीं तो फिरकलम को भी अल्फाज़ हर बार ज़रूरी हो ज़िंदगी  ख़ुशनुमा …

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