ख्यालों में तू क्या-क्या नहीं है
तू ही तो मेरा कामील यक़ीं है
जहाँ रहते हैं खास लोग अक्सर
मौजुद तू जाँ वहीं पर कहीं है
जिसके होने से इतना मगरूर हूँ
तू ही तो मेरी वो रोशन जबीं है
तारीफ़ करते ही करते ही जाऊँ
आख़िर इतना तू क्यों दिल नशीं है
ना है तेरा हमसर सारी मख़लूक़ में
सिर्फ तू ही तू अब ज़माने में हंसीं है
Ghazal written by Sofiya Shaikh Srm beautiful Poem | read More Hindi Poetry