मेरे लिये तुम कुछ ऐसे यार ज़रूरी हो
किसी ग़ज़ल को जैसे अश’आर ज़रूरी हो
ज़ज्बात जो दबे हों सीने में कहीं तो फिर
कलम को भी अल्फाज़ हर बार ज़रूरी हो
ज़िंदगी ख़ुशनुमा हो ही जाती हैं यारों
ग़र दिल से बने सच्चे दिलदार ज़रूरी हो
दोस्त बने हैं यूँ तो कई अब तक मेरे
तुझसे मिला है जो बस वो प्यार ज़रूरी हो
इक कहानी मुकम्मल होने को है दोस्त
हमारी दोस्ती का हरदम ये सार ज़रूरी हो
Hindi Poetry written by Neeraj Neeru