रखा सर तू ने सनम जब मेरे सिरहाने पर
लगा काँपने ये बदन तेरे पास आने पर
शरारतें तेरी वो प्यार की मस्तियाँ जो थी
मुझे याद है तेरा एक बोसे को तरसाने पर
चाँद सा चहरा जब तू ने दिखाया मुझ को
कसर छोड़ी ना कोई हुस्न मेरा दिखाने पर
तेरी अदाएँ ही काफी थी सितम ढाने को
क़यामत आ गई ज़ुल्फ़ें तेरे लहराने पर!
नूर से चहरा तेरा मेरे यार मुनव्वर था
मेहताब को फ़ीका तेरे सामने बतलाने पर
तुझे ना था इस खेल का तजरुबा लेकिन
लगा दिया तू ने हर बार तीर निशाने पर
मेरी रूह को मिला था सकूँ-व-साथी कोई
तेरा ज़ोर से, जिस्म से मेरी लिपट जाने पर
हसीं हूरों के मिसाल-व-नाम सामने लेकर
समझना ना कभी , जल जाएँगें जलाने पर
तू है सिर्फ उस के दिल की अमानत सोफ़ी
मुस्कुरा देना हर पल उस के मुस्कुराने पर
Ghazal written by Sofiya Shaikh Srm beautiful Poem read More Hindi Poetry.