रिश्तों की महक

रिश्ते,
कितने प्यारे होते हैं ना
ये मानवीय रिश्ते
हमेशा एक अपनापन सा
एहसास कराते हैं हमें

फिर चाहे ये पारिवारिक हो या सामाजिक
कोई फर्क नहीं पड़ता इससे चूंकि
हृदय की गहराई और पवित्रता से
बने होते हैं ये रिश्ते

ना कोई द्वेष, ना छल
सिर्फ प्रेम दिखता है इनमें
जिसे अटूट विश्वास की डोर
सदैव बाँधे रखती है और
जैसे साँसें चलती हैं किसी अपने के
करीब होने मात्र से ही

कोई अवहेलना नहीं की जाती
जहाँ किसी की भी कभी
माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त
सगे-संबंधी हो या जीवनसाथी
बस उनके साथ होने से ही
जीवन प्रफुल्लित हो उठता है

और इन रिश्तों की महक से
घर मानो स्वर्ग सा बन जाता है
सच, कितने प्यारे और अनोखे
होते हैं ना ये सारे रिश्ते
हमेशा एक अपनापन सा
एहसास कराते हैं हमें ll


Hindi Poetry written by Neeraj Neeru

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