उसकी ज़ुल्फ़ें संवारने चला हूँ मैं

uski zulfen savaarane chala hu main उसकी    ज़ुल्फ़ें    संवारने      चला     हूँ    मैंखुद     को    उसपे     हारने    चला    हूँ    मैं जाने   ये   कैसा   मंजर   है   मेरी   आँखों  मेंबस   एक   उसी    को   देखने  …

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एक ख्याल कुछ यूँ है कि

ख्वाबों से हसीं हकीकत से परे एक चेहरामासूम सूरत  झुके नयन  और एक  चेहरा खुशबू   महके   गुलाब   सी   ऐसे   मुझमें गुलिस्तान हो  पास  मेरे  जैसे एक  चेहरा  खयालों  में   रहता …

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