नज़्म-ए-उल्फ़त

ये नज़्म आप के औसाफ़ को पहचानती है,ये नज़्म आप के जलवों की चमक जनती है। ये नज़्म आप के दस्त-ए-हिना से लाई है,ये नज़्म आप के अंगुश्त की हिनाई…

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देख कर

जलता नहीं हूँ आतिश-ए-रुख़सार देख करकरता हूँ नाज़ ताक़त-ए-दीदार देख कर हैराँ हूँ मैं तो हुस्न-ए-रुख़-ए-यार देख करफिर भी हूँ मुन्तज़िर तुझे सौ बार देख कर अनवार-ए-हुस्न-ओ-नाज़-ए-अदाकार देख करहैरां है…

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