Guzaree hai zindagee bas kisee kee yaad mein
गुज़री है ज़िंदगी बस किसी की याद में
काश मैं भी याद आऊँ कभी उसको यादों में
मैं जो रोऊँ उसे मालूम हो मेरे आसुओं का
इतना असर हो खुदा बस मेरी दुआओं में
मिले हैं यूँ तो कई लोग मुझे इन राहों में
यार तू ही है अभी भी मेरे इन हसीं ख्वाबों में
कोई तो हो जिससे करूँ मैं वो सारी बातें
मेरे सन्देश जो तुझ तक पहुंचाये मेरी बातों में
कैसे भला अब मैं यूँ ही खामोश रहूँ तुमसे
कभी तो खुलेगी नींद मेरी इन रातों में
Hindi Poetry “guzaree hai zindagee bas kisee kee yaad mein” written by Neeraj Neeru