ख्यालों में तू क्या-क्या नहीं है

ख्यालों में तू क्या-क्या नहीं हैतू ही तो मेरा कामील यक़ीं है जहाँ रहते हैं खास लोग अक्सरमौजुद तू जाँ वहीं पर कहीं है जिसके होने से इतना मगरूर हूँतू…

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मेरा भाई

मैं भाई उस को कहती हूँमैं उस से लड़ती-झगड़ती हूँ 'आगाज़-ए-सहर' उसकी बातों से'शब का अंधेरा भी उसकी शरारतों सेहो जाती हूंँ बेज़ार मैं उस के कामों सेफिर भी पिटता…

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ख़ामोश मकान में मेरे

ख़ामोश मकान में मेरेरोशनी सियाह रहती है टूटा भरोसा हो जिस परशक़ की निगाह रहती है मारा है ग़म ने जिस को भीदिल में तो आह रहती है ख़्वाब फ़िर…

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गुज़री है ज़िंदगी बस किसी की याद में

Guzaree hai zindagee bas kisee kee yaad mein गुज़री  है  ज़िंदगी   बस   किसी  की   याद  मेंकाश मैं  भी याद  आऊँ कभी उसको यादों में मैं जो  रोऊँ  उसे  मालूम हो …

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उसकी ज़ुल्फ़ें संवारने चला हूँ मैं

uski zulfen savaarane chala hu main उसकी    ज़ुल्फ़ें    संवारने      चला     हूँ    मैंखुद     को    उसपे     हारने    चला    हूँ    मैं जाने   ये   कैसा   मंजर   है   मेरी   आँखों  मेंबस   एक   उसी    को   देखने  …

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एक ख्याल कुछ यूँ है कि

ख्वाबों से हसीं हकीकत से परे एक चेहरामासूम सूरत  झुके नयन  और एक  चेहरा खुशबू   महके   गुलाब   सी   ऐसे   मुझमें गुलिस्तान हो  पास  मेरे  जैसे एक  चेहरा  खयालों  में   रहता …

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देख कर

जलता नहीं हूँ आतिश-ए-रुख़सार देख करकरता हूँ नाज़ ताक़त-ए-दीदार देख कर हैराँ हूँ मैं तो हुस्न-ए-रुख़-ए-यार देख करफिर भी हूँ मुन्तज़िर तुझे सौ बार देख कर अनवार-ए-हुस्न-ओ-नाज़-ए-अदाकार देख करहैरां है…

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