Welcome to the Hindi section of HeartSaysALot, a vibrant space celebrating the richness and diversity of Hindi literature. From poetry and prose to essays and stories, our collection brings you a range of writings that showcase the beauty and depth of the Hindi language. Explore timeless classics and contemporary works that offer a window into the cultural and emotional landscapes of Hindi-speaking regions. Whether you’re a native speaker or a language enthusiast, this section invites you to experience the eloquence and nuance of Hindi literature in all its glory.

हो रहे फासले लेकिन हम जुदा नहीं

हो रहे फासले लेकिन हम जुदा नहींपहले कभी दर्द इतना क्यूँ हुवा नहीं हूँ तकलीफ़ उस के लिए मैं अगरकर मुझे दूर मगर ऐ ख़ुदा नहीं मेरा इश्क़ जो मेरी…

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ख्यालों में तू क्या-क्या नहीं है

ख्यालों में तू क्या-क्या नहीं हैतू ही तो मेरा कामील यक़ीं है जहाँ रहते हैं खास लोग अक्सरमौजुद तू जाँ वहीं पर कहीं है जिसके होने से इतना मगरूर हूँतू…

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मेरा भाई

मैं भाई उस को कहती हूँमैं उस से लड़ती-झगड़ती हूँ 'आगाज़-ए-सहर' उसकी बातों से'शब का अंधेरा भी उसकी शरारतों सेहो जाती हूंँ बेज़ार मैं उस के कामों सेफिर भी पिटता…

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ख़ामोश मकान में मेरे

ख़ामोश मकान में मेरेरोशनी सियाह रहती है टूटा भरोसा हो जिस परशक़ की निगाह रहती है मारा है ग़म ने जिस को भीदिल में तो आह रहती है ख़्वाब फ़िर…

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गुज़री है ज़िंदगी बस किसी की याद में

Guzaree hai zindagee bas kisee kee yaad mein गुज़री  है  ज़िंदगी   बस   किसी  की   याद  मेंकाश मैं  भी याद  आऊँ कभी उसको यादों में मैं जो  रोऊँ  उसे  मालूम हो …

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उसकी ज़ुल्फ़ें संवारने चला हूँ मैं

uski zulfen savaarane chala hu main उसकी    ज़ुल्फ़ें    संवारने      चला     हूँ    मैंखुद     को    उसपे     हारने    चला    हूँ    मैं जाने   ये   कैसा   मंजर   है   मेरी   आँखों  मेंबस   एक   उसी    को   देखने  …

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एक ख्याल कुछ यूँ है कि

ख्वाबों से हसीं हकीकत से परे एक चेहरामासूम सूरत  झुके नयन  और एक  चेहरा खुशबू   महके   गुलाब   सी   ऐसे   मुझमें गुलिस्तान हो  पास  मेरे  जैसे एक  चेहरा  खयालों  में   रहता …

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मेरे लिये तुम कुछ ऐसे यार ज़रूरी हो

मेरे  लिये  तुम  कुछ   ऐसे  यार  ज़रूरी होकिसी ग़ज़ल को जैसे अश'आर ज़रूरी हो ज़ज्बात जो दबे  हों सीने में  कहीं तो फिरकलम को भी अल्फाज़ हर बार ज़रूरी हो ज़िंदगी  ख़ुशनुमा …

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रिश्तों की महक

रिश्ते,कितने प्यारे होते हैं नाये मानवीय रिश्तेहमेशा एक अपनापन साएहसास कराते हैं हमें फिर चाहे ये पारिवारिक हो या सामाजिककोई फर्क नहीं पड़ता इससे चूंकिहृदय की गहराई और पवित्रता सेबने…

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करें क्या ?

ये ग़म तो दिल की आदत है, करें क्या?वुफ़ूर-ए-ग़म में लत-पत है, करें क्या? रूदाद-ए-ग़म किसे मिल कर सुनाए?शरीक-ए-ग़म से दहशत है, करें क्या? शरीक-ए-रंज-ओ-राहत जो मिला है,वो अंदोह-ए-समा'अत है,…

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