ek tere siva kahaan kisee ko soch paaye hum
एक तेरे सिवा कहाँ किसी को सोच पाये हम
ऐसा कौन है अजीज जिसे ख्यालों में लाये हम
इक ख्वाहिश है मेरी तुमसे बस इतनी सी
दरिया किनारे बैठ तुमसे प्रीत लगाये हम
मैं खुश था मौला कि वो मेरे शहर में था
गिला ये के उससे रूबरू ना हो पाये हम
खुशनसीब हैं वो सारे जिनसे रब्त है तुम्हारा
कितने बदनसीब हैं हम कैसे तुम्हें ये बताये हम
सोच कर तुमको रात गुजर जाती है जाने कैसे
नींदों के साथ आंसुओं से भी हुये अब पराये हम
तुम्हें यकीन नहीं है मुझ पर ये जानता हूँ मैं मगर
करके साबित मोहब्बत ख़ुद की तुमको दिखाये हम
Hindi Poetry “ek tere siva kahaan kisee ko soch paaye hum” written by Neeraj Neeru