हो रहे फासले लेकिन हम जुदा नहीं
पहले कभी दर्द इतना क्यूँ हुवा नहीं
हूँ तकलीफ़ उस के लिए मैं अगर
कर मुझे दूर मगर ऐ ख़ुदा नहीं
मेरा इश्क़ जो मेरी जान है
कोई दिल में उस के सिवा नहीं
मेरे दिल को जिस की तलाश थी
मुझे मुद्दतों से वो दिखा नहीं
मेरी ख़्वाहिश मेरा अरमान वो
मुझ से आज तक वो मिला नहीं
मेरे दिल में धोका फ़रेब है
हूँ बाग़ी मुझ में वफ़ा नहीं
हुई नहीं उस की क़दर मुझे
उसे फ़िर भी मुझ से ग़ीला नहीं
जज़्बात मेरे हैं मर गए सब
शायद इसी लिए दिल मेरा दुखा नहीं
इश्क़-व-तवक़्क़ो उस ने लुटा दिया सब
ना मिला कुछ उसे मगर वो ख़फ़ा नहीं
है अजनबी वो और हूँ झूठ मैं
मेरा सच भी उस से छुपा नहीं
यूँ सब का दिल फ़िर लुभाए जो
मेरे पास ऐसी कोई अदा नहीं
मैं अब कभी इश्क़ करूँ ही क्यूँ
मुझ में कुछ अब बाक़ी बचा नहीं
Ghazal written by Sofiya Shaikh Srm beautiful Poem | read More Hindi Poetry