खोया था मेरा मैं न जाने किधर गया
ले कर के खाली हाथ हर शब मैं घर गया
मैं ने भी हर एक काम को कल पे सौंप के
आँखों को नम कर के हाँ दिन गुज़र गया
कुल्लू नफ़सीन ज़ा इक तुल मौत ख़ुदा
फ़िर कोई आया और फ़ानी बशर गया
मेरे ही सीने में धड़क कर हयात था
जाने ना कोई भी हक़ीक़त के मर गया
Ghazal written by Sofiya Shaikh Srm beautiful Poem | read More Hindi Poetry